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Sunday, October 23, 2011

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा हैदराबाद केंद्र से विकसित एक मात्र मासिक पत्रिका स्रवंति .

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा हैदराबाद केंद्र से विकसित एक मात्र मासिक पत्रिका 
स्रवंति .





`स्रवंति' दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (आंध्र) द्वारा प्रकाशित 56 वर्ष पुरानी पत्रिका है. अपने वर्तमान स्वरूप में `स्रवंति' द्विभाषा मासिक पत्रिका है जिसमें हिंदी और तेलुगु की सामग्री सम्मिलित होती है. इन दिनों इसका संपादन उच्च शिक्षा और शोध संस्थान,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद के अध्यक्षप्रो.ऋषभदेव शर्मा के निर्देशन में डॉ.जी.नीरजा (सह संपादक ) कर रही हैं. जनवरी २०११ के अंक से इस पत्रिका को इंटरनेट पर भी उपलब्ध कराया जा रहा है. इस पत्रिका अनेक शोधार्थियों के लिए कई प्रकार से उपयोग हो रहा है . ...

प्रो.ऋषभदेव शर्मा  जी को और  डॉ.जी.नीरजा   जी को  विशेष रूप से धन्यवाद ....

Wednesday, October 5, 2011

नवरात्री की शुभकामनाएँ!!!

लक्ष्मी का हाथ हो ,सरस्वती का साथ हो,
गणेश का निवास हो, और माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो !!!!
सभी को नवरात्री की शुभकामनाएँ!!!

Saturday, October 1, 2011

गाँधी जयन्ती की शुभकामनाएँ!!!

गाँधी जयन्ती की शुभकामनाएँ!!!

सत्य !

सत्य का दिव्य संदेश
सत्य.... क्या है? यह एक कठिन प्रश्न है, लेकिन अपने लिए मैंने इसे यह कहकर सुलझा लिया है कि जो तुम्हारे अंतःकरण की आवाज कहे, वह सत्य है। आप पूछते हैं कि यदि ऐसा है तो भिन्न-भिन्न लोगों के सत्य परस्पर भिन्न और विरोधी क्यों होते हैं? चूंकि मानव मन असंख्य माध्यमों के जरिए काम करता हैऔर सभी लोगों के मन का विकास एक-सा नहीं होता इसलिए जो एक व्यक्ति के लिए सत्य होगा, वह दूसरे के लिए असत्य हो सकता है। अतः जिन्होंने ये प्रयोग किए हैं, वे इस परिणाम पर पहुंचे हैं कि इन प्रयोगों को करते समय कुछ शर्तों का पालन करना जरूरी है।
ऐसा इसलिए है कि आजकल हर आदमी किसी तरह की कोई साधना किए बगैर अंतःकरण के अधिकार का दावा कर रहा है, और हैरान दुनिया को जाने कितना असत्य थमाया जा रहा है। मैं सच्ची विनम्रता के साथ तुमसे कहना चाहता हूं कि जिस व्यक्ति में विनम्रता कूट-कूट न भरी हो, उसे सत्य नहीं मिल सकता। यदि तुम्हें सत्य के सागर में तैरना है, तो तुम्हें अपनी हस्ती को पूरी तरह मिटा देना होगा ।
यंग, 31-12-1931, पृ. ४२८


केवल सत्य और प्रेम-अहिंसा-ही महत्वपूर्ण है। जहां ये हैं, वहां अंततः सब कुछ ठीक हो जाएगा। इस नियम का कोई अपवाद नहीं है।
यंग, 18-8-1927, पृ. २६५


Mahatma Gandhi : God is Life, Truth, Light, Love and The supreme Good..