आज के दिन 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव,
राजगुरु हंसते-हंसते लाहौर जेल में फांसी के फंदे पर झूल गए थे। आजाद भारत न उनके सपनों को पंख दे सका
और न उनकी शहादत के मायने समझ सका!
आगरा में नूरी गेट स्थित इस मकान में कभी शहीद भगत सिंह रहे थे! आज यह जर्जर हालत में पड़ा हुआ है!
भगतसिंह की साहस का परिचय इस गीत से मिलता है जो उन्होने अपने छोटे भाई कुलतार को ३ मार्च को लिखा था!
''उसे यह फ़िक्र है हरदम तर्ज़-ए-ज़फ़ा (अन्याय) क्या है
हमें यह शौक है देखें सितम की इंतहा क्या है
दहर (दुनिया) से क्यों ख़फ़ा रहें,
चर्ख (आसमान) से क्यों ग़िला करें
सारा जहां अदु (दुश्मन) सही, आओ मुक़ाबला करें''
भगत सिंह
जन्म - तिथि: २७ सितंबर, १९०७
जन्म - स्थान: लायलपुर, पंजाब, ब्रिटिश भारत
मृत्यु - तिथि: २३ मार्च, १९३१ (आयु २३)
मृत्यु - स्थान: लाहौर, पंजाब, ब्रिटिश भारत
आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
प्रमुख संगठन: नौजवान भारत सभा, कीर्ती किसान पार्टी एवं हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन
धर्म: सिख धर्म (आरंभीक वर्ष), नास्तिक
प्रभाव राजविप्लव, साम्यवाद, समाजवाद
शहीद भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु जिंदाबाद
सारे जहा से अच्छा हिंदोस्ता हमारा इंकलाब जिंदाबाद
इन शब्दों के साथ "मेरी " बलोग की तरफ से शहीदों को शत शत नमन
(पुण्यतिथि के अवसर पर देश के इन वीर सपूतों को शत शत नमन)