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Saturday, September 21, 2013
Friday, September 13, 2013
सत्रारंभ समारोह -2013-2014.
हिंदी प्रचारक
प्रशिक्षण महाविद्यालय,हैदराबाद.
सत्रारंभ समारोह -2013-2014.
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार
सभा के हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय-हैदराबाद में 13 सितंबर 2013 को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सत्रारंभ समारोह संपन्न हुआ.
कार्यक्रम की अध्यक्षता दक्षिण भारत हिंदी प्रचार
सभा-आंध्र, हैदराबाद के सचिव सी.एस होसगौडर ने की तथा मुख्य अतिथि आसन आंध्र सभा
के वरिष्ट व्यवस्थापक के वेंकटेश्वर राव ने ग्रहण किया. कार्यक्रम के संयोजक
प्राचार्य श्रीराम श्रीनिवासुलु भी मंचासन्न रहे.
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती दीप प्रज्वलन से हुआ.
विजयलक्ष्मी,शामलीला,कविता, शर्मीला द्वारा सुमधुर प्रार्थना गीत प्रस्तुत की
गयी.प्राचार्य श्रीराम श्रीनिवासुलु अतिथियों एवं प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत
किया .
अतिथि वक्तव्य में आंध्र सभा के व्यवस्थापक के
वेंकटेश्वर राव ने सभा की औपचारिक गतिविधियों की जानकारी देते हुए प्रशिक्षण
महाविद्यालय की महत्वपूर्ण स्थान के बारे में अपने विचारों को व्यक्त किया.
प्रशिक्षणार्थियों को शुभाशीर्वाद दिया.
अध्यक्षीय भाषण में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र
शाखा के सचिव सी.एस होसगौडर ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए प्रशिक्षण के महत्त्व
पर अपने विचार प्रस्तुत किया और प्रशिक्षणार्थियों को प्रात्साहित करते हुए शुभकामनाएं दिया. हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रवक्ता गण जूजू गोपीनाथ,
राधाकृष्ण मिरियाला ग्रन्थ पालिका के दुर्गाश्री, प्रशिक्षणार्थी गण एवं शिक्षकेतर
कर्मचारी गण उपस्थित रहे. धन्यवाद् समर्पण प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्रवक्ता जूजू
गोपीनाथ द्वारा तथा कार्यक्रम का सफल संचालन राधाकृष्ण मिरियाला द्वारा किया
गया.सामूहिक राष्ट्र गान के साथ सत्रारंभ समारोह संपन्न हुआ....
राधाकृष्ण मिरियाला
प्रवक्ता
हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण
महाविद्यालय
Monday, September 9, 2013
"मेरे गुरु देव प्रो ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ लोकार्पित"
"मेरे गुरु देव प्रो ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ लोकार्पित"
"सूँ साँ माणस गंध" लोकार्पण समारोह।
|
हैदराबाद : 6-09-2013.
‘साहित्य मंथन’ और ‘श्रीसाहिती प्रकाशन’ के संयुक्त तत्वावधान में प्रो.एम.वेंकटेश्वर की अध्यक्षता में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में संपन्न एक भव्य समारोह में वरिष्ठ भाषाचिंतक प्रो.दिलीप सिंह ने कवि प्रो.ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ को लोकार्पित किया. प्रो.दिलीप सिंह ने लोकार्पित पुस्तक की विवेचना करते हुए कहा कि मनुष्यता की शाश्वत गंध, लोकतंत्र और सृजन की बेचैनी इसका केंद्रीय कथ्य है तथा इन कविताओं को काव्य सौष्ठव की दृष्टि से श्रेष्ठ रचनाओं की पंक्ति में रखा जा सकता है। उन्होंने मृत्यु और रचना प्रक्रिया से संबंधित कविताओं को भी इस संग्रह की विशेष उपलब्धि माना। विशिष्ट अतिथि डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने कवि की काव्ययात्रा का मूल्यांकन करते हुए कहा कि समकालीन युगबोध की दृष्टि से उनकी कविताएँ आज के समय की आवश्यकता की पूर्ति करती हैं और रचनाधर्म के निर्वाह की दृष्टि से यह कवि भारतीयता और लोकचेतना से अनुप्राणित प्रतीत होता है। शुभकामनाएँ देते हुए वरिष्ठ कवि गुरुदयाल अग्रवाल ने कहा कि हर पीढ़ी को अपनी आवाज बुलंद करने वाला एक कलमकार चाहिए होता है और ऋषभदेव शर्मा ऐसे ही कलमकार है तथा ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ आज के आतंक ग्रस्त माहौल में मशाल की तरह जलती हुई कविताएँ हैं। लोकार्पित पुस्तक का परिचय देते हुए लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने ‘सूँ साँ माणस गंध’ की व्याख्या की और इन कविताओं को मिट्टी और शौर्य की कविताएँ बताया।अध्यक्षीय भाषण में प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने लोकार्पित संग्रह की विविधता और कलात्मकता की प्रशंसा करते हुए खासतौर से लंबी कविताओं के शिल्प की दृष्टि से ‘सृजन का पल’ और ‘मैं सृजन की टेक धारे हूँ’ कविताओं का विश्लेषण किया तथा कहा कि समकालीन काव्य परिदृश्य में ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ एक सार्थक हस्तक्षेप करती हैं और अपनी एक अलग जगह की माँग करती हैं। इस अवसर पर कवि ऋषभदेव शर्मा ने लोकार्पित पुस्तक से कुछ चुनी हुई कविताओं का वाचन किया। साथ ही साहित्य मंथन, विश्वंभरा, श्रीसाहिती प्रकाशन, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, कादम्बिनी क्लब आदि संस्थाओं तथा कवि के प्रशंसकों और मित्रों ने उनका पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ सारस्वत सम्मान किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में डॉ.ऋषभदेव शर्मा द्वारा संपादित एवं प्रो.दिलीप सिंह को समर्पित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ ‘भाषा की भीतरी परतें’ की मानार्थ प्रतियाँ ग्रंथ के सहयोगी लेखकों को भेंट की गईं। संपादक मंडल के सदस्यों ने पुस्तक के मुख चित्र की अनुकृति प्रो. दिलीप सिंह को समर्पित की। इस समारोह में बड़ी संख्या में हिंदी अध्यापकों, शोध छात्रों, प्रचारकों और लेखकों ने भाग लिया जिनमें डॉ.गोरखनाथ तिवारी, प्रो.जे.पी.डिमरी, डॉ.के.बी.मुल्ला, वेणुगोपाल भट्टड, नरेंद्र राय, डॉ.विनीता शर्मा, डॉ.देवेंद्र शर्मा, भंवरलाल उपाध्याय, डॉ.पूर्णिमा शर्मा, लिपि भारद्वाज, राजेश प्रसाद, डॉ.एम.रंगैया, जी.परमेश्वर, डॉ.शकीला खानम, डॉ.शकुंतला रेड्डी, डॉ.अनिता गांगुली, डॉ.एम.लक्ष्मीकांतम, पवित्रा अग्रवाल, डॉ.किशोरीलाल व्यास, डॉ.बी.एल.मीणा, प्रतिभा कुमारी, डॉ.रोहिताश्व, डॉ.टी.मोहन सिंह, शशिनारायण स्वाधीन, डॉ.मृत्युंजय सिंह, डॉ.साहिराबानू बी. बोरगल, डॉ.बलविंदर कौर, डॉ.रजनी धारी, डॉ.विनीता सिन्हा, डॉ.बी.बालाजी, वी.ज्योत्स्ना कुमारी, वी.कृष्णा राव, द्वारका प्रसाद मायछ, वेंकटेश्वर राव, राधाकृष्ण मिरियाला, जूजू गोपीनाथ, खदीर, जी.संगीता, मंजु शर्मा, जे. रामकृष्ण, निर्मला सुमिरता, पी.पावनी, पेरिके झांसी लक्ष्मीबाई, गहनीनाथ, अम्बिका,बाबासाहब, एन.अप्पल नायुडु, शुभदा, के.नागेश्वर राव, वी. शंकर, संतोष विजय मुनेश्वर, फातिमुन्निसा, नाजिया बेगम, राजु, वर्षा ठाकुर, रेणु कुमारी, डॉ.ए.जी.श्रीराम, श्रीराम श्रीनिवास, शंकर सिंह ठाकुर, सुरेश, संतोष काम्बले, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद अंसारी, अनामिका आदि के नाम सम्मिलित हैं।समारोह का संचालन लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने किया और धन्यवाद डॉ.जी.नीरजा ने प्रकट किया।
‘साहित्य मंथन’ और ‘श्रीसाहिती प्रकाशन’ के संयुक्त तत्वावधान में प्रो.एम.वेंकटेश्वर की अध्यक्षता में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में संपन्न एक भव्य समारोह में वरिष्ठ भाषाचिंतक प्रो.दिलीप सिंह ने कवि प्रो.ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ को लोकार्पित किया. प्रो.दिलीप सिंह ने लोकार्पित पुस्तक की विवेचना करते हुए कहा कि मनुष्यता की शाश्वत गंध, लोकतंत्र और सृजन की बेचैनी इसका केंद्रीय कथ्य है तथा इन कविताओं को काव्य सौष्ठव की दृष्टि से श्रेष्ठ रचनाओं की पंक्ति में रखा जा सकता है। उन्होंने मृत्यु और रचना प्रक्रिया से संबंधित कविताओं को भी इस संग्रह की विशेष उपलब्धि माना। विशिष्ट अतिथि डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने कवि की काव्ययात्रा का मूल्यांकन करते हुए कहा कि समकालीन युगबोध की दृष्टि से उनकी कविताएँ आज के समय की आवश्यकता की पूर्ति करती हैं और रचनाधर्म के निर्वाह की दृष्टि से यह कवि भारतीयता और लोकचेतना से अनुप्राणित प्रतीत होता है। शुभकामनाएँ देते हुए वरिष्ठ कवि गुरुदयाल अग्रवाल ने कहा कि हर पीढ़ी को अपनी आवाज बुलंद करने वाला एक कलमकार चाहिए होता है और ऋषभदेव शर्मा ऐसे ही कलमकार है तथा ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ आज के आतंक ग्रस्त माहौल में मशाल की तरह जलती हुई कविताएँ हैं। लोकार्पित पुस्तक का परिचय देते हुए लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने ‘सूँ साँ माणस गंध’ की व्याख्या की और इन कविताओं को मिट्टी और शौर्य की कविताएँ बताया।अध्यक्षीय भाषण में प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने लोकार्पित संग्रह की विविधता और कलात्मकता की प्रशंसा करते हुए खासतौर से लंबी कविताओं के शिल्प की दृष्टि से ‘सृजन का पल’ और ‘मैं सृजन की टेक धारे हूँ’ कविताओं का विश्लेषण किया तथा कहा कि समकालीन काव्य परिदृश्य में ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ एक सार्थक हस्तक्षेप करती हैं और अपनी एक अलग जगह की माँग करती हैं। इस अवसर पर कवि ऋषभदेव शर्मा ने लोकार्पित पुस्तक से कुछ चुनी हुई कविताओं का वाचन किया। साथ ही साहित्य मंथन, विश्वंभरा, श्रीसाहिती प्रकाशन, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, कादम्बिनी क्लब आदि संस्थाओं तथा कवि के प्रशंसकों और मित्रों ने उनका पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ सारस्वत सम्मान किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में डॉ.ऋषभदेव शर्मा द्वारा संपादित एवं प्रो.दिलीप सिंह को समर्पित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ ‘भाषा की भीतरी परतें’ की मानार्थ प्रतियाँ ग्रंथ के सहयोगी लेखकों को भेंट की गईं। संपादक मंडल के सदस्यों ने पुस्तक के मुख चित्र की अनुकृति प्रो. दिलीप सिंह को समर्पित की। इस समारोह में बड़ी संख्या में हिंदी अध्यापकों, शोध छात्रों, प्रचारकों और लेखकों ने भाग लिया जिनमें डॉ.गोरखनाथ तिवारी, प्रो.जे.पी.डिमरी, डॉ.के.बी.मुल्ला, वेणुगोपाल भट्टड, नरेंद्र राय, डॉ.विनीता शर्मा, डॉ.देवेंद्र शर्मा, भंवरलाल उपाध्याय, डॉ.पूर्णिमा शर्मा, लिपि भारद्वाज, राजेश प्रसाद, डॉ.एम.रंगैया, जी.परमेश्वर, डॉ.शकीला खानम, डॉ.शकुंतला रेड्डी, डॉ.अनिता गांगुली, डॉ.एम.लक्ष्मीकांतम, पवित्रा अग्रवाल, डॉ.किशोरीलाल व्यास, डॉ.बी.एल.मीणा, प्रतिभा कुमारी, डॉ.रोहिताश्व, डॉ.टी.मोहन सिंह, शशिनारायण स्वाधीन, डॉ.मृत्युंजय सिंह, डॉ.साहिराबानू बी. बोरगल, डॉ.बलविंदर कौर, डॉ.रजनी धारी, डॉ.विनीता सिन्हा, डॉ.बी.बालाजी, वी.ज्योत्स्ना कुमारी, वी.कृष्णा राव, द्वारका प्रसाद मायछ, वेंकटेश्वर राव, राधाकृष्ण मिरियाला, जूजू गोपीनाथ, खदीर, जी.संगीता, मंजु शर्मा, जे. रामकृष्ण, निर्मला सुमिरता, पी.पावनी, पेरिके झांसी लक्ष्मीबाई, गहनीनाथ, अम्बिका,बाबासाहब, एन.अप्पल नायुडु, शुभदा, के.नागेश्वर राव, वी. शंकर, संतोष विजय मुनेश्वर, फातिमुन्निसा, नाजिया बेगम, राजु, वर्षा ठाकुर, रेणु कुमारी, डॉ.ए.जी.श्रीराम, श्रीराम श्रीनिवास, शंकर सिंह ठाकुर, सुरेश, संतोष काम्बले, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद अंसारी, अनामिका आदि के नाम सम्मिलित हैं।समारोह का संचालन लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने किया और धन्यवाद डॉ.जी.नीरजा ने प्रकट किया।
इस कार्यक्रम की अन्य जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिये।
Sunday, September 8, 2013
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आन्ध्र,हैदराबाद में शिक्षक दिवस समारोह सुसंपन्न...
हैदराबाद ०५ सितंबर २०१३.
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र, हैदराबाद स्थित स्वर्णजयंती भवन में श्री एम् वी पापन्न गुप्ता हाल परिसर में शिक्षक दिवस समारोह संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अहिल्या मिश्र,विशेष अतिथियों के रूप में उच्च शिक्षा और शोध संस्थान,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आन्ध्र , हैदराबाद के विभाग अध्यक्ष प्रो.ऋषभ देव शर्मा ,शिक्षा महाविद्यालय-हैदराबाद के प्राचार्य डॉ.के.बी. मुल्ला एवं आंध्र सभा के वरिष्ट व्यवस्थापक श्री के वेंकटेश्वर राव पधारे। इस कार्यक्रम का अध्यक्ष दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र के सचिव श्री सी एस होसगौडर रहे। आंध्र सभा के व्यवस्थापक के. वेंकटेश्वर राव अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वागत भाषण किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथि गण शिक्षक के बारे में अनेकानेक विषयों को प्रस्तावित करते हुए आदर्श शिक्षक डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन की प्रशंसा किये। छात्र- छात्राओं को आदर्श शिक्षक बनने की प्रेरणा दिये। इस सुअवसर पर सभी विभागों के अध्यापकों को सम्मान किया गया। इसी कार्यक्रम में सभा के कंप्यूटर प्रशिक्षण परीक्षा में उत्तीर्ण प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण- पत्र देकर पुरस्कृत किये। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सी एस होसगौडर अपने अध्यक्षीय भाषण में कहते हुए "अध्यापक राष्ट्र का निर्माता है।" समाज में शिक्षक स्थान के बारें में प्रस्तावित किया है। अगले साल से सभा के सभी शखाओं में शिक्षक दिवस बड़े पैमाने में सभा की ओर से करने के लिए आदेश दिया।इस अवसर पर सभा के विभिन्न विभागों के अध्यापक गण,प्रशिक्षणार्थी गण और सभा के शिक्षणेतर कर्मचारी गण उपस्थित रहें। इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ ए जी श्री राम ने किया। डॉ.गोरखनाथ तिवारी ने कार्यक्रम का धन्यवाद समर्पण किया।
इस कार्यक्रम की चित्रावली :
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