स्वागत
Wednesday, October 24, 2012
Tuesday, October 2, 2012
Tuesday, September 4, 2012
सभी को शिक्षक दिवस की शुभकानाएँ ......
आदर्श समाज के लिए मूल बीज अध्यापक ही है.विभिन्न क्षेत्रों में विकास हेतु नवीन विज्ञान की सृष्टि करनेवाला सिर्फ अध्यापक ही है . वैज्ञानिक हो या अन्य क्षेत्रों में जो कुशल निपुण, सब को तैयार करनेवाले मात्र अध्यापक ही है. अत्यंत पवित्र काम है अध्यापकीय काम .इसलिए हम अध्यापक को भगवान के समान मानते हैं .
गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु : गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरावेनम:!!!!!!
सभी को शिक्षक दिवस की शुभकानाएँ ......
Wednesday, August 1, 2012
प्रेमचंद जयन्ती पर 'दूध का दाम' पर परिचर्चा संपन्न
हैदराबाद 1 अगस्त 2012
यहाँ खैरताबाद स्थित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के विश्वविद्यालय विभाग में कल मंगलवार को प्रेमचन्द जयन्ती के अवसर पर अमर कथाकार प्रेमचंद की कहानी 'दूध का दाम' पर परिचर्चा आयोजित की गई. आरम्भ में उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रो.ऋषभ देव शर्मा ने प्रेमचंद की बहुमुखी प्रतिभा, व्यापक विश्व दृष्टि और कालजयी लोकप्रियता की चर्चा की. प्राध्यापक डॉ.मृत्युंजय सिंह ने प्रेमचंद का परिचय देते हुए उनकी कहानी 'दूध का दाम' का वाचन किया. अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी में उन्होंने कहा कि यह कहानी पाठक को भद्र समाज के दोगले आचरण के बारे में सोचने के लिए विवश करता है और सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा देता है. परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्राध्यापिका डॉ. जी.नीरजा ने प्रेमचंद की कथा भाषा के सामाजिक पहलू की और ध्यान दिलाया और कहा कि इस कहानी में साफ़ साफ़ डॉ भाषा रूप देखे जा सकते हैं - संपन्न वर्ग की भाषा और विपन्न वर्ग की भाषा. इसी क्रम में टी.उमा दुर्गा देवी, के.अनुराधा, बिमलेश कुमार सिंह, प्रतिभा मिश्रा, नम्रता भारत, के.अमृता और टी.परवीन सुलताना ने 'दूध का दाम' में निहित स्त्री विमर्श, दलित विमर्श और सामाजिक यथार्थ पर अपने विचार प्रकट किए. प्रायः सभी वक्ताओं ने जाति प्रथा और वर्ण व्यवस्था के सन्दर्भ में भारतीय समाज में व्याप्त दोगले आचरण के प्रभावी चित्रण की दृष्टि से 'दूध का दाम' को उच्च कोटी की कहानी बताया.
प्रस्तुति
डॉ.जी.नीरजा
Tuesday, April 3, 2012
डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा की पहली किताब "तेलुगु साहित्य : एक अनुशीलन" लोकार्पित.
हिंदी-तेलुगु द्विभाषी पत्रिका ‘स्रवन्ति’ की सह-संपादक डा.गुर्रमकोंडा नीरजा की समीक्षा-पुस्तक ‘तेलुगु साहित्य : एक अवलोकन’ का लोकार्पण समारोह यहाँ साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘साहित्य मंथन’ के तत्वावधान में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के सभागार में संपन्न हुआ.
लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि प्रो.दिलीप सिंह ने कहा कि तेलुगु विश्व भर में हिंदी के बाद सबसे ज्यादा पढ़ी जानेवाली भारतीय भाषा है इसलिए तेलुगु में निहित साहित्यिक धरोहर से अन्य भाषाभाषियों को परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है तथा डा.नीरजा की यह पुस्तक इस आवश्यकता की पूर्ति की दिशा में एक सार्थक प्रयास है. प्रो.सिंह ने लोकार्पित पुस्तक की पठनीयता की प्रशंसा करते हुए बताया कि इसमें खास तौर पर तेलुगु साहित्य की सामाजिकता और लौकिकता को उभारा गया है.
विमोचित किताब की पहली प्रति को स्वीकार करते हुए वार्ता पत्रकारिता संस्थान के प्राचार्य गुर्रमकोंडा श्रीकांत ने कहा कि तेलुगु भाषा और साहित्य की समझ के बिना भारतीय साहित्य की आत्मा को नहीं पहचाना जा सकता इसलिए यह पुस्तक भारतीय साहित्य के हर अध्येता के लिए अत्यंत उपयोगी है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस पुस्तक में तेलुगु साहित्य के पुराने और नए रचनाकारों का जो समीक्षात्मक विवेचन किया गया है वह अत्यंत प्रामाणिक है.
‘तेलुगु साहित्य : एक अवलोकन’ की समीक्षा करते हुए भगवानदास जोपट ने कहा कि इस पुस्तक में संकलित इक्कीस निबंध साहित्य को देखने और विश्लेषित करने की लेखिका की शक्ति के परिचायक हैं. उन्होंने कहा कि इन निबंधों में तेलुगु साहित्य के महत्वपूर्ण रचनाकारों के सरोकारों, शैलियों और प्रवृत्तियों पर जो सारगर्भित चर्चा की गई है वह ताजगी की महक लिए हुए है. अन्नमाचार्य से लेकर उत्तरआधुनिक तेलुगु साहित्य तक को समेटनेवाली इस पुस्तक को जोपट ने भारतीय मनीषा के सम्पूर्ण वैभव और संवेदनशीलता को इतिहास के परिप्रेक्ष्य में देखने की एक ईमानदार कोशिश बताया.
अध्यक्षासन से संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डा.राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि डा.गुर्रमकोंडा नीरजा की यह पुस्तक तेलुगु साहित्य ही नहीं बल्कि तेलुगु समाज और संस्कृति को भी निकट से समझने में हिंदी पाठक की सहायता करेगी. उन्होंने भाषा, साहित्य और संस्कृति के आपसी संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता को पुष्ट करने के लिए इस प्रकार की रचनाओं की अधिकाधिक जरूरत है.
लोकार्पण के अवसर पर लेखिका डा.जी.नीरजा का सारस्वत सम्मान भी किया गया. इस अवसर पर डा.ऋषभ देव शर्मा, एस.के.हलेमनी, एम.सीतालक्ष्मी, डा.मोहन सिंह, डा.पूर्णिमा शर्मा, डा.पुष्पा शर्मा, डा.रोहिताश्व, डा.टी.वी.कट्टीमनी, डा.देवेन्द्र शर्मा, विनीता शर्मा, राजकुमार गुप्ता, एलिजाबेथ कुरियन मोना, डा.भीम सिंह, डा.आंजनेयुलू, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, पवित्रा अग्रवाल, कोसनम नागेश्वर राव, डा.सीता नायडू, डा.मृत्युंजय सिंह, डा.शक्ति द्विवेदी, अर्पणा दीप्ति, जी.संगीता आदि सहित शताधिक हिंदी प्रेमी और साहित्यकार उपस्थित रहे.
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