स्वागत
Saturday, September 21, 2013
Friday, September 13, 2013
सत्रारंभ समारोह -2013-2014.
हिंदी प्रचारक
प्रशिक्षण महाविद्यालय,हैदराबाद.
सत्रारंभ समारोह -2013-2014.
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार
सभा के हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय-हैदराबाद में 13 सितंबर 2013 को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सत्रारंभ समारोह संपन्न हुआ.
कार्यक्रम की अध्यक्षता दक्षिण भारत हिंदी प्रचार
सभा-आंध्र, हैदराबाद के सचिव सी.एस होसगौडर ने की तथा मुख्य अतिथि आसन आंध्र सभा
के वरिष्ट व्यवस्थापक के वेंकटेश्वर राव ने ग्रहण किया. कार्यक्रम के संयोजक
प्राचार्य श्रीराम श्रीनिवासुलु भी मंचासन्न रहे.
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती दीप प्रज्वलन से हुआ.
विजयलक्ष्मी,शामलीला,कविता, शर्मीला द्वारा सुमधुर प्रार्थना गीत प्रस्तुत की
गयी.प्राचार्य श्रीराम श्रीनिवासुलु अतिथियों एवं प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत
किया .
अतिथि वक्तव्य में आंध्र सभा के व्यवस्थापक के
वेंकटेश्वर राव ने सभा की औपचारिक गतिविधियों की जानकारी देते हुए प्रशिक्षण
महाविद्यालय की महत्वपूर्ण स्थान के बारे में अपने विचारों को व्यक्त किया.
प्रशिक्षणार्थियों को शुभाशीर्वाद दिया.
अध्यक्षीय भाषण में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र
शाखा के सचिव सी.एस होसगौडर ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए प्रशिक्षण के महत्त्व
पर अपने विचार प्रस्तुत किया और प्रशिक्षणार्थियों को प्रात्साहित करते हुए शुभकामनाएं दिया. हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रवक्ता गण जूजू गोपीनाथ,
राधाकृष्ण मिरियाला ग्रन्थ पालिका के दुर्गाश्री, प्रशिक्षणार्थी गण एवं शिक्षकेतर
कर्मचारी गण उपस्थित रहे. धन्यवाद् समर्पण प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्रवक्ता जूजू
गोपीनाथ द्वारा तथा कार्यक्रम का सफल संचालन राधाकृष्ण मिरियाला द्वारा किया
गया.सामूहिक राष्ट्र गान के साथ सत्रारंभ समारोह संपन्न हुआ....
राधाकृष्ण मिरियाला
प्रवक्ता
हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण
महाविद्यालय
Monday, September 9, 2013
"मेरे गुरु देव प्रो ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ लोकार्पित"
"मेरे गुरु देव प्रो ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ लोकार्पित"
"सूँ साँ माणस गंध" लोकार्पण समारोह।
|
हैदराबाद : 6-09-2013.
‘साहित्य मंथन’ और ‘श्रीसाहिती प्रकाशन’ के संयुक्त तत्वावधान में प्रो.एम.वेंकटेश्वर की अध्यक्षता में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में संपन्न एक भव्य समारोह में वरिष्ठ भाषाचिंतक प्रो.दिलीप सिंह ने कवि प्रो.ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ को लोकार्पित किया. प्रो.दिलीप सिंह ने लोकार्पित पुस्तक की विवेचना करते हुए कहा कि मनुष्यता की शाश्वत गंध, लोकतंत्र और सृजन की बेचैनी इसका केंद्रीय कथ्य है तथा इन कविताओं को काव्य सौष्ठव की दृष्टि से श्रेष्ठ रचनाओं की पंक्ति में रखा जा सकता है। उन्होंने मृत्यु और रचना प्रक्रिया से संबंधित कविताओं को भी इस संग्रह की विशेष उपलब्धि माना। विशिष्ट अतिथि डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने कवि की काव्ययात्रा का मूल्यांकन करते हुए कहा कि समकालीन युगबोध की दृष्टि से उनकी कविताएँ आज के समय की आवश्यकता की पूर्ति करती हैं और रचनाधर्म के निर्वाह की दृष्टि से यह कवि भारतीयता और लोकचेतना से अनुप्राणित प्रतीत होता है। शुभकामनाएँ देते हुए वरिष्ठ कवि गुरुदयाल अग्रवाल ने कहा कि हर पीढ़ी को अपनी आवाज बुलंद करने वाला एक कलमकार चाहिए होता है और ऋषभदेव शर्मा ऐसे ही कलमकार है तथा ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ आज के आतंक ग्रस्त माहौल में मशाल की तरह जलती हुई कविताएँ हैं। लोकार्पित पुस्तक का परिचय देते हुए लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने ‘सूँ साँ माणस गंध’ की व्याख्या की और इन कविताओं को मिट्टी और शौर्य की कविताएँ बताया।अध्यक्षीय भाषण में प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने लोकार्पित संग्रह की विविधता और कलात्मकता की प्रशंसा करते हुए खासतौर से लंबी कविताओं के शिल्प की दृष्टि से ‘सृजन का पल’ और ‘मैं सृजन की टेक धारे हूँ’ कविताओं का विश्लेषण किया तथा कहा कि समकालीन काव्य परिदृश्य में ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ एक सार्थक हस्तक्षेप करती हैं और अपनी एक अलग जगह की माँग करती हैं। इस अवसर पर कवि ऋषभदेव शर्मा ने लोकार्पित पुस्तक से कुछ चुनी हुई कविताओं का वाचन किया। साथ ही साहित्य मंथन, विश्वंभरा, श्रीसाहिती प्रकाशन, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, कादम्बिनी क्लब आदि संस्थाओं तथा कवि के प्रशंसकों और मित्रों ने उनका पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ सारस्वत सम्मान किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में डॉ.ऋषभदेव शर्मा द्वारा संपादित एवं प्रो.दिलीप सिंह को समर्पित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ ‘भाषा की भीतरी परतें’ की मानार्थ प्रतियाँ ग्रंथ के सहयोगी लेखकों को भेंट की गईं। संपादक मंडल के सदस्यों ने पुस्तक के मुख चित्र की अनुकृति प्रो. दिलीप सिंह को समर्पित की। इस समारोह में बड़ी संख्या में हिंदी अध्यापकों, शोध छात्रों, प्रचारकों और लेखकों ने भाग लिया जिनमें डॉ.गोरखनाथ तिवारी, प्रो.जे.पी.डिमरी, डॉ.के.बी.मुल्ला, वेणुगोपाल भट्टड, नरेंद्र राय, डॉ.विनीता शर्मा, डॉ.देवेंद्र शर्मा, भंवरलाल उपाध्याय, डॉ.पूर्णिमा शर्मा, लिपि भारद्वाज, राजेश प्रसाद, डॉ.एम.रंगैया, जी.परमेश्वर, डॉ.शकीला खानम, डॉ.शकुंतला रेड्डी, डॉ.अनिता गांगुली, डॉ.एम.लक्ष्मीकांतम, पवित्रा अग्रवाल, डॉ.किशोरीलाल व्यास, डॉ.बी.एल.मीणा, प्रतिभा कुमारी, डॉ.रोहिताश्व, डॉ.टी.मोहन सिंह, शशिनारायण स्वाधीन, डॉ.मृत्युंजय सिंह, डॉ.साहिराबानू बी. बोरगल, डॉ.बलविंदर कौर, डॉ.रजनी धारी, डॉ.विनीता सिन्हा, डॉ.बी.बालाजी, वी.ज्योत्स्ना कुमारी, वी.कृष्णा राव, द्वारका प्रसाद मायछ, वेंकटेश्वर राव, राधाकृष्ण मिरियाला, जूजू गोपीनाथ, खदीर, जी.संगीता, मंजु शर्मा, जे. रामकृष्ण, निर्मला सुमिरता, पी.पावनी, पेरिके झांसी लक्ष्मीबाई, गहनीनाथ, अम्बिका,बाबासाहब, एन.अप्पल नायुडु, शुभदा, के.नागेश्वर राव, वी. शंकर, संतोष विजय मुनेश्वर, फातिमुन्निसा, नाजिया बेगम, राजु, वर्षा ठाकुर, रेणु कुमारी, डॉ.ए.जी.श्रीराम, श्रीराम श्रीनिवास, शंकर सिंह ठाकुर, सुरेश, संतोष काम्बले, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद अंसारी, अनामिका आदि के नाम सम्मिलित हैं।समारोह का संचालन लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने किया और धन्यवाद डॉ.जी.नीरजा ने प्रकट किया।
‘साहित्य मंथन’ और ‘श्रीसाहिती प्रकाशन’ के संयुक्त तत्वावधान में प्रो.एम.वेंकटेश्वर की अध्यक्षता में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में संपन्न एक भव्य समारोह में वरिष्ठ भाषाचिंतक प्रो.दिलीप सिंह ने कवि प्रो.ऋषभदेव शर्मा की छठी काव्यकृति ‘सूँ साँ माणस गंध’ को लोकार्पित किया. प्रो.दिलीप सिंह ने लोकार्पित पुस्तक की विवेचना करते हुए कहा कि मनुष्यता की शाश्वत गंध, लोकतंत्र और सृजन की बेचैनी इसका केंद्रीय कथ्य है तथा इन कविताओं को काव्य सौष्ठव की दृष्टि से श्रेष्ठ रचनाओं की पंक्ति में रखा जा सकता है। उन्होंने मृत्यु और रचना प्रक्रिया से संबंधित कविताओं को भी इस संग्रह की विशेष उपलब्धि माना। विशिष्ट अतिथि डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने कवि की काव्ययात्रा का मूल्यांकन करते हुए कहा कि समकालीन युगबोध की दृष्टि से उनकी कविताएँ आज के समय की आवश्यकता की पूर्ति करती हैं और रचनाधर्म के निर्वाह की दृष्टि से यह कवि भारतीयता और लोकचेतना से अनुप्राणित प्रतीत होता है। शुभकामनाएँ देते हुए वरिष्ठ कवि गुरुदयाल अग्रवाल ने कहा कि हर पीढ़ी को अपनी आवाज बुलंद करने वाला एक कलमकार चाहिए होता है और ऋषभदेव शर्मा ऐसे ही कलमकार है तथा ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ आज के आतंक ग्रस्त माहौल में मशाल की तरह जलती हुई कविताएँ हैं। लोकार्पित पुस्तक का परिचय देते हुए लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने ‘सूँ साँ माणस गंध’ की व्याख्या की और इन कविताओं को मिट्टी और शौर्य की कविताएँ बताया।अध्यक्षीय भाषण में प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने लोकार्पित संग्रह की विविधता और कलात्मकता की प्रशंसा करते हुए खासतौर से लंबी कविताओं के शिल्प की दृष्टि से ‘सृजन का पल’ और ‘मैं सृजन की टेक धारे हूँ’ कविताओं का विश्लेषण किया तथा कहा कि समकालीन काव्य परिदृश्य में ‘सूँ साँ माणस गंध’ की कविताएँ एक सार्थक हस्तक्षेप करती हैं और अपनी एक अलग जगह की माँग करती हैं। इस अवसर पर कवि ऋषभदेव शर्मा ने लोकार्पित पुस्तक से कुछ चुनी हुई कविताओं का वाचन किया। साथ ही साहित्य मंथन, विश्वंभरा, श्रीसाहिती प्रकाशन, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, कादम्बिनी क्लब आदि संस्थाओं तथा कवि के प्रशंसकों और मित्रों ने उनका पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ सारस्वत सम्मान किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में डॉ.ऋषभदेव शर्मा द्वारा संपादित एवं प्रो.दिलीप सिंह को समर्पित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ ‘भाषा की भीतरी परतें’ की मानार्थ प्रतियाँ ग्रंथ के सहयोगी लेखकों को भेंट की गईं। संपादक मंडल के सदस्यों ने पुस्तक के मुख चित्र की अनुकृति प्रो. दिलीप सिंह को समर्पित की। इस समारोह में बड़ी संख्या में हिंदी अध्यापकों, शोध छात्रों, प्रचारकों और लेखकों ने भाग लिया जिनमें डॉ.गोरखनाथ तिवारी, प्रो.जे.पी.डिमरी, डॉ.के.बी.मुल्ला, वेणुगोपाल भट्टड, नरेंद्र राय, डॉ.विनीता शर्मा, डॉ.देवेंद्र शर्मा, भंवरलाल उपाध्याय, डॉ.पूर्णिमा शर्मा, लिपि भारद्वाज, राजेश प्रसाद, डॉ.एम.रंगैया, जी.परमेश्वर, डॉ.शकीला खानम, डॉ.शकुंतला रेड्डी, डॉ.अनिता गांगुली, डॉ.एम.लक्ष्मीकांतम, पवित्रा अग्रवाल, डॉ.किशोरीलाल व्यास, डॉ.बी.एल.मीणा, प्रतिभा कुमारी, डॉ.रोहिताश्व, डॉ.टी.मोहन सिंह, शशिनारायण स्वाधीन, डॉ.मृत्युंजय सिंह, डॉ.साहिराबानू बी. बोरगल, डॉ.बलविंदर कौर, डॉ.रजनी धारी, डॉ.विनीता सिन्हा, डॉ.बी.बालाजी, वी.ज्योत्स्ना कुमारी, वी.कृष्णा राव, द्वारका प्रसाद मायछ, वेंकटेश्वर राव, राधाकृष्ण मिरियाला, जूजू गोपीनाथ, खदीर, जी.संगीता, मंजु शर्मा, जे. रामकृष्ण, निर्मला सुमिरता, पी.पावनी, पेरिके झांसी लक्ष्मीबाई, गहनीनाथ, अम्बिका,बाबासाहब, एन.अप्पल नायुडु, शुभदा, के.नागेश्वर राव, वी. शंकर, संतोष विजय मुनेश्वर, फातिमुन्निसा, नाजिया बेगम, राजु, वर्षा ठाकुर, रेणु कुमारी, डॉ.ए.जी.श्रीराम, श्रीराम श्रीनिवास, शंकर सिंह ठाकुर, सुरेश, संतोष काम्बले, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद अंसारी, अनामिका आदि के नाम सम्मिलित हैं।समारोह का संचालन लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने किया और धन्यवाद डॉ.जी.नीरजा ने प्रकट किया।
इस कार्यक्रम की अन्य जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिये।
Sunday, September 8, 2013
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आन्ध्र,हैदराबाद में शिक्षक दिवस समारोह सुसंपन्न...
हैदराबाद ०५ सितंबर २०१३.
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र, हैदराबाद स्थित स्वर्णजयंती भवन में श्री एम् वी पापन्न गुप्ता हाल परिसर में शिक्षक दिवस समारोह संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अहिल्या मिश्र,विशेष अतिथियों के रूप में उच्च शिक्षा और शोध संस्थान,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आन्ध्र , हैदराबाद के विभाग अध्यक्ष प्रो.ऋषभ देव शर्मा ,शिक्षा महाविद्यालय-हैदराबाद के प्राचार्य डॉ.के.बी. मुल्ला एवं आंध्र सभा के वरिष्ट व्यवस्थापक श्री के वेंकटेश्वर राव पधारे। इस कार्यक्रम का अध्यक्ष दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र के सचिव श्री सी एस होसगौडर रहे। आंध्र सभा के व्यवस्थापक के. वेंकटेश्वर राव अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वागत भाषण किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथि गण शिक्षक के बारे में अनेकानेक विषयों को प्रस्तावित करते हुए आदर्श शिक्षक डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन की प्रशंसा किये। छात्र- छात्राओं को आदर्श शिक्षक बनने की प्रेरणा दिये। इस सुअवसर पर सभी विभागों के अध्यापकों को सम्मान किया गया। इसी कार्यक्रम में सभा के कंप्यूटर प्रशिक्षण परीक्षा में उत्तीर्ण प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण- पत्र देकर पुरस्कृत किये। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सी एस होसगौडर अपने अध्यक्षीय भाषण में कहते हुए "अध्यापक राष्ट्र का निर्माता है।" समाज में शिक्षक स्थान के बारें में प्रस्तावित किया है। अगले साल से सभा के सभी शखाओं में शिक्षक दिवस बड़े पैमाने में सभा की ओर से करने के लिए आदेश दिया।इस अवसर पर सभा के विभिन्न विभागों के अध्यापक गण,प्रशिक्षणार्थी गण और सभा के शिक्षणेतर कर्मचारी गण उपस्थित रहें। इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ ए जी श्री राम ने किया। डॉ.गोरखनाथ तिवारी ने कार्यक्रम का धन्यवाद समर्पण किया।
इस कार्यक्रम की चित्रावली :
Saturday, August 17, 2013
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में स्वतंत्रता पर्व संपन्न
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में स्वतंत्रता पर्व संपन्न
हर कीमत पर आजादी की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हों – प्रो.दिलीप सिंह
हैदराबाद, 15 अगस्त 2013.
स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जिस राष्ट्रीय आजादी का हम आज स्वच्छंद उपभोग कर रहे हैं उसे इस देश ने लंबे संघर्ष और भीषण यातनाओं के बाद प्राप्त किया है. संघर्षों का यह इतिहास इस दृष्टि से अनोखा है कि एक ओर हमारे किशोर और युवा क्रांतिकारियों ने उपनिवेशी शासन को सशस्त्र चुनौती दी तथा दूसरी ओर सहनशीलता की चरमसीमा तक अहिंसक आंदोलन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इस भावना को प्रमाणित कर दिखाया कि अत्याचारी व्यवस्था को भी अहिंसा की ताकत के सामने आखिरकार झुकना ही पडता है. इस संघर्ष की समस्त गाथा तमाम भारतीय भाषाओं के साहित्य में और लोक की स्मृतियों में सुरक्षित है. आवश्यकता है कि हमारी नई पीढ़ियाँ साहित्य में निहित इस राष्ट्रीय चेतना को आत्मसात करें और मिली हुई आजादी की हर कीमित पर रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हों.
ये उद्गार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कुलसचिव प्रो.दिलीप सिंह ने आंध्र सभा में मुख्य अतिथि के रूप में ध्वजारोहण के पश्चात अपने संबोधन में प्रकट किए. इस समारोह में चवाकुल नरसिंह मूर्ति, शेख मोहम्मद कासिम, शेख जमीला बेगम विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए.
67 वें स्वतंत्रता पर्व के तहत आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई. इसके बाद ध्वज स्तंभ के समक्ष पूजा का सांस्कृतिक अनुष्ठान संपन्न हुआ और ध्वजारोहण के पश्चात अतिथियों ने अपने उद्बोधनात्मक विचार व्यक्त किए. छात्र-छात्राओं ने राष्ट्र चेतनापरक गीत प्रस्तुत किए. समारोह में सभा के विभिन्न विभागों के व्यवस्थापक, प्राध्यापक, कार्यकर्ता और छात्र उत्साहपूर्वक सम्मिलित हुए.
आरंभ में आंध्र सभा के सचिव सी.एस.होसगौडर ने मुख्य अतिथि का स्वागत-सत्कार किया. संयोजन प्रो.ऋषभदेव शर्मा ने किया तथा धन्यवाद डॉ.के.बी.मुल्ला ने दिया.
प्रस्तुति : डॉ.जी.नीरजा, सह संपादक ‘स्रवन्ति’, प्राध्यापक, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद – 500004, मोबाइल – 09849986346, ईमेल – neerajagkonda@gmail.com
स्वतंत्रता दिवस की चित्रावली
Wednesday, August 14, 2013
Monday, August 12, 2013
हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय-हैदराबाद में वार्षिकोत्सव संपन्न
हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय-हैदराबाद में वार्षिकोत्सव संपन्न
हैदराबाद 16 जुलाई 2013
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा
द्वारा संचालित हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय-हैदराबाद के प्रांगण में
वार्षिकोत्सव 16 जुलाई 2013 को संपन्न हुआ।इस कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप
में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र शाखा के सचिव सी.एस.होसगौड़र, मुख्य अतिथि
के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आंध्र की अध्यक्ष एम.सीतालक्ष्मी,विशेष अतिथि के रूप में दक्षिण भारत
हिंदी प्रचार सभा-आंध्र शाखा के अपर सचिव एस.राधाकृष्णन, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय-हैदराबाद
केन्द्र के सहायक निदेशक शंकरसिंह ठाकूर और शिक्षा महाविद्यालय-हैदराबाद के प्राचार्य डॉ.के.बी.मुल्ला और हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय के
प्राचार्य प्रमोद बालकृष्ण परीट पधारे।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती दीप प्रज्वलन से हुआ।छात्राध्यापिकाओं ने
स्वागत गीत से अतिथियों का स्वागत किया।
इस कार्यक्रम के संयोजक
एवं हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रमोद बालकृष्ण परीट ने
सत्र 2012-2013 का प्रतिवेदन प्रस्तुत
किया और छात्रों को आशीर्वाद दिया।
विशेष अतिथिगण डॉ.के.बी.मुल्ला और शंकरसिंह ठाकूर ने छात्रों को आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष सी.एस.होसगौड़र ने अपने अध्यक्षीय भाषण में
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के विकास के बारे में बताते हुए सभी प्रशिक्षणार्थियों
को शुभकामनाओं के साथ प्रोत्साहित किया।इस
अवसर पर महाविद्यालय में आयोजित विभिन्न खेल-कूद
तथा संस्कृतिक प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये गए।इस अवसर पर
पी.जी.विभाग,शिक्षा महाविद्यालय के प्रवक्तागण सभा के शिक्षणेतर कर्मचारीगण और
प्रशिक्षणार्थीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षण महाविद्यालय की
प्रशिक्षणार्थी फातिमुन्निसा और शिवलक्ष्मी ने किया।
प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्रवक्ता जुजु गोपीनाथ के धन्यवाद समर्पण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
वार्षिकोत्सव की चित्रावाली
हिंदी-तेलुगु तुलनात्मक व्याकरण एवं आदर्श अध्यापक के गुण पर व्याख्यान संपन्न
हिंदी-तेलुगु तुलनात्मक व्याकरण एवं आदर्श अध्यापक
के गुण पर व्याख्यान संपन्न
हैदराबाद 16 अप्रैल 2013
हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण
महाविद्यालय,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा-आन्ध्र हैदराबाद के तत्वावधान में 16 अप्रैल 2013 को हिंदी-तेलुगु
तुलनात्मक व्याकरण एवं आदर्श अध्यापक के गुण पर हिंदी प्रेमी मंडली विजयनगर कॉलोनी
के अध्यक्ष चवाकुल नरसिंह मूर्ती का अतिथि व्याख्यान संपन्न हुआ।
नरसिंह मूर्ती ने प्रशिक्षणार्थीयों
को संबोधित करते हुए अपने व्याख्यान में हिंदी-तेलुगु तुलनात्मक व्याकरण से
संबंधित अध्यापन बिन्दुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि अध्यापक के लिए व्यकारण अत्यंत
आवश्यक है.इसके अभाव में शिक्षण कार्य सफल नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट
किया है कि आज के बदलते परिप्रेक्ष्य में अध्यापन कार्य में बदलाव लाना अनिवार्य
है। संप्रेषणीयता और बोधगम्यता अध्ययन तथा अध्यापन
दोनों के आवश्यक तत्व है।
आरंभ में अतिथि वक्ता का परिचय
प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्रवक्ता राधाकृष्ण मिरियाला ने दिया।उसके बाद
अध्यक्षीय उद्भोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रमोद बालकृष्ण परीट ने आदर्श
अध्यापक के गुण एवं व्याकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुख्य वक्ता
ने प्रशिक्षणार्थियों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया। कार्यक्रम में डॉ.लक्ष्मी उमाराणी
मलेंपाटि,जुजु गोपीनाथ एवं प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे। प्रशिक्षण महाविद्यालय की
प्रवक्ता जुजु गोपीनाथ के धन्यवाद के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
Saturday, April 6, 2013
'समाजीकरण में शिक्षा का योगदान' पर अतिथि व्याख्यान संपन्न।
'समाजीकरण में शिक्षा का योगदान' पर अतिथि व्याख्यान संपन्न।
हैदराबाद,
04-04-2013.
हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में आज हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्याल जनगाँव के प्राचार्य डॉ.उदय शर्मा ने 'समाजीकरण में शिक्षा का योगदान' पर अतिथि व्याख्यान दिया।
डॉ.उदय शर्मा ने आगे कहा कि तकनीकी की ओर बच्चों का अधिकतम ध्यान होने के कारण अधिक से अधिक खेल भी कम्प्यूटर पर खेल रहे हैं। उससे खेल मैदान में होनेवाले समाजीकरण का अवसर समाप्त हो जाता है।
अतिथि वक्ता ने प्रशिक्षणार्थियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अध्यापन व्यवसाय इस दृष्टी से श्रेष्ठ है कि अध्यापक राष्ट्र के चरित्र का निर्माण करता है। अध्यापक के पास ऐसा धन है कि न भाई बाँट सकता , न चोर चुरा सकता, न राजा अपहरण कर सकता।
अंत में प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्रवक्ता डॉ लक्ष्मी उमाराणी ने धन्यवाद ज्ञापित की।
हैदराबाद , 04-04-2013 .
हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय ,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा हैदराबाद में "समाजीकरण में शिक्षा का योगदान " विषयक अतिथि व्याख्यान आयोजित की गई। इस आयोजन की अध्यक्षता प्राचार्य प्रमोद परीट ने की।
स्वतंत्र वार्ता 07-04-2013.
हिंदी मिलाप 07-04-2013.
स्रवंति अप्रैल 2013
Tuesday, March 26, 2013
होली की खूब सारी शभकामनाएँ।।।
होली की खूब सारी शभकामनाएँ।।।
रंग के त्यौहार में
सभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।
होली मुबारक।
रंगों से भी रंगीन जिन्दगी है हमारी
रंगीली रहे यह बंदगी है हमारी
कभी न बिगड़े ये प्यार की रंगोली
आये मेरे यार ऐसी हैप्पी होली ....
होली की खूब सारी शुभकामनाएँ ........
इस संदर्भ में मेरे गुरु जी परम आदरणीय प्रो. ऋषभ देव शर्मा जी की कविता को यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ....
अब तो रुकना शहर में नहीं सुरक्षित,नाथ।
सूरज भी घुसता यहाँ पार-पत्र ले हाथ।
रहे खोजते शहर में कहीं प्यार की गंध,
कृत्रिम गंधों के मिले गली-गली अनुबंध।
गुड़ियों के व्यामोह में रमे नगर में नाथ,
रोज राह मैं जोहती गोबर साए हाथ।
यौवन के आँगन रुका सूर्य राह को भूल,
धूप -स्नान करता रहा सूर्यमुखी का फूल।
खट्टे आमों में बसे नई वधू के प्राण,
अमराई का बढ़ गया यूँ थोड़ा अभिमान।
अधरों में ज्वाला जगी, उगे देह में शूल,
छुआ भ्रमर ने भूल से एक कुंवारा फूल।
नशा नहीं कुछ चढ़ रहा,कैसी छानी भंग ?
होली देखी शहर में,फीके सारे रंग।
रंगों का मुहताज क्यों यह रंगों का देश ?
सप्त-किरणों को डस गया अंधकार का शेष।
घोले तो थे नीर में टेसू लाल प्रसून,
पिचकारी में भर गया भारत माँ का खून।
जब होली को लिख रहा में हार्दिक संबंध ,
हस्ताक्षर को आ गए रोटी के अनुबंध।
Wednesday, March 20, 2013
पोस्टर प्रदर्शनी - भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह
पोस्टर प्रदर्शनी - भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह
09-10 मार्च 2013 के दिन मेरे जीवन के अत्यंत स्मरणीय दो दिन हैं। इन दिनों में बहुत कुछ जानने-सीखने को मिला। अवसर था हमारे उच्च शिक्षा और शोध संस्थान ( दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ) में 'भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर जन्म शताब्दी समारोह का।
इस अवसर पर दो दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई जिसमें अनेक विद्वानों को देखने और सुनने का सोव्भाग्य मिला। साथ ही पिछली संगोष्ठियों की तरह इस बार भी पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसे छात्रों और शोधार्थियों के साथ-साथ आचार्यों और विद्वानों ने भी मुक्त कंठ से सराहा।
प्रस्तुत है पोस्टर प्रदर्शनी का स्लाइड शो :
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Wednesday, March 13, 2013
भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह संपन्न
भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह संपन्न
हैदराबाद, 14 मार्च 2013.
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ,हैदराबाद द्वारा सभा के परिसर में 09-10 मार्च 2013 (शनिवार-रविवार ) दो दिन " भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दीसमारोह" का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक प्रसिद्ध साहित्यकारों ने पधारकर भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर से सम्बंधित अनेक विषयों को प्रस्तुत किया जिसकी संस्थान के अलावा अन्य विश्वविद्यालयों से आए हुए छात्रों-शोधार्थियों-प्राध्या
कार्यक्रम से संबंधित संपूर्ण जानकारी नीचे दिए गए संपर्क-सूत्रों पर उपलब्ध है -
हिंदी मीडिया
http://hindimedia.in/2/index.
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मीडिया खबर
http://mediakhabar.com/media-
अपनी माटी
http://www.apnimaati.com/2013/
हैदराबाद से
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