होली की खूब सारी शभकामनाएँ।।।
रंग के त्यौहार में 
सभी रंगों की हो भरमार 
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार 
यही दुआ है हमारी  भगवान से हर बार। 
होली मुबारक।
रंगों से भी रंगीन जिन्दगी है हमारी 
रंगीली रहे यह बंदगी है हमारी 
कभी न बिगड़े ये प्यार की रंगोली 
आये मेरे यार ऐसी हैप्पी होली ....
                                             होली की खूब सारी शुभकामनाएँ ........
इस संदर्भ में मेरे गुरु जी परम आदरणीय प्रो. ऋषभ देव शर्मा  जी की कविता को यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ .... 
अब तो रुकना शहर में नहीं सुरक्षित,नाथ।
सूरज भी घुसता यहाँ पार-पत्र  ले हाथ।
रहे खोजते शहर में कहीं  प्यार की गंध,
कृत्रिम गंधों के मिले गली-गली अनुबंध।
गुड़ियों के व्यामोह में रमे नगर में नाथ,
रोज राह मैं जोहती गोबर साए हाथ।
यौवन के आँगन रुका सूर्य राह को भूल,
धूप -स्नान करता रहा सूर्यमुखी का फूल।
खट्टे आमों में बसे नई वधू  के प्राण,
अमराई का बढ़ गया यूँ  थोड़ा अभिमान।
अधरों में ज्वाला जगी, उगे देह में शूल,
छुआ भ्रमर ने भूल से एक कुंवारा फूल।
नशा नहीं कुछ चढ़ रहा,कैसी छानी  भंग ?
होली देखी शहर में,फीके सारे रंग।
रंगों का मुहताज क्यों यह रंगों का देश ?
सप्त-किरणों को डस गया अंधकार का शेष।
घोले तो थे नीर में टेसू लाल प्रसून,
पिचकारी में भर गया भारत माँ का खून।
जब होली को लिख रहा में हार्दिक संबंध ,
हस्ताक्षर को आ गए रोटी के अनुबंध।

 
 
 
No comments:
Post a Comment